Tuesday 22 November 2011

राधा का गीत


मुझे दोष मत देना, मोहन,
   मुज पर रोष  न करना !
दिवस जलाता , निशा रुलाती,
  मन की पीड़ा दिशा भुलाती
कितनी दूर सपन है तेरे
कितनी तपन मुझे जुलसाती
चलती हू   , पर  नहीं थकाना
 जलती हू पर होश न हरना     
मोहन,
   मुझ पर रोष  न करना !
इसी तपन ने आखे खोली
 इसी जलन ने भर दी जोली
जब तुम बोले मौन रही मै
 जब मौन हुए तुम , मै बोली
सहना सबसे कठीन मौन को
 कहना है , खामोश न करना !
मोहन,
   मुझ पर रोष  न करना !



2 comments: