Friday 14 October 2011

हर सिंगार

हर  सिंगार पुष्प वे पुष्प होते हैं जो शिव जी को बड़े प्रिय हैं. छोटे  छोटे इन पुष्पों की कोमल डाली सिंदूर रंग की होती हैं और फुल   की चार या पांच पत्तिया  शुभ्र रंग की होती है. संध्या होते ही ये खिलना शुरू करते हैं और रात भर में  खिल  कर  मधुर सौरभ बिखेरते हैं और प्रांत; होते ही धरती पर  न्योछावर हो जाते हैं.धरती पर बिखरे हुए पारिजात पुष्प पार्वती को प्रिय लगते हैं.
 मेरी कविताएं भी सदा रात को ही खिला करती हैं, प्रांत; होते ही 'शुभ्र धरती' पर, कागज़ पर  बिखरी मिला जाती हैं
 मन के भीतर  समय समय पर  उठने वाले तरह तरह के भाव काव्य स्वरूप 'हर सिंगार 'से सौरभ बिखेरते रहते हैं..

1 comment:

  1. बहुत खूब हंसाजी .....बहुत अच्छी व्याख्या की आपने

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